Sunday, July 6, 2008

लीला अपरमपार P

  • हे भोले भनड़ारी तेरी लीला है अपरमपार ,
    तेरी माया का न पाया किसी ने पार !
    में ढूडूं तुझे जंगल में ,
    में ढूडूं तुझे मन्दिर में !
    तू तो बैठा है मेरे मन मन्दिर में ,
    तू है मेरा सहारा ,
    में इस दुनिया से हूँ हारा
    कहे मदन गोपाल मुझे बुलाले
    अपने पास ,मुझे नहीं किसी का सहारा !

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झूंट और सच P

  • सच और झूंट के बीच होता है ,
    एक पतला सा विशवास का धागा !
    गर विश्वास डगमगाया ,
    और विश्वास हटा ,
    तो प्रेम में चटख आ जायगी ,
    कहे मदन गोपाल फिर जुड़ेगी नहीं वह
    दरार न झूंट से न सच से !

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