मनुष्य की यही महिमा
"मनुष्य की यही महिमा हें कि वह स्वतन्त्र हें कर्म करने में और न करने में भी वह स्वतन्त्र हें और यही उसका विषाद भी हें । मनुष्य गलत करने में भी स्वतन्त्र हें । स्वतन्त्रता में गलत और सही दोनों की स्वतन्त्रता हें ।"
YEH KAVITAON KA SANGRAH ADARNIYA GURUJI SHREE SUDHANSHUJI MAHARAJ KE CHARNO MEN SAMARPIT
posted by Madan Gopal Garga LM VJM at 7:54 PM 0 Comments
parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay
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