दो पाट ज़िंदगी के
दो पाट ज़िंदगी के
एकसा रूप रहता नहीं,
एकसा वक्त रहता नहीं,
दिन हे तो रात होगी,
सुख हे तो दुःख भी होगा,
मान हुआ तो अपमान भी होगा,
गर हुआ योग तो वियोग भी होगा,
हँसे हो तो रोना भी पडेगा,
जन्म हुआ हे तो मरना भी पडेगा ,
हानी हुई हे तो लाभ भी होगा ,'
यही दो पाट हैं ज़िंदगी के,
कहे मदन गोपाल ,
इन सब से तो गुजरना ही पडेगा ,
इन सब की न कर चिंता,
ले नाम प्रभु का ,
तेरा भला होगा !!
एकसा रूप रहता नहीं,
एकसा वक्त रहता नहीं,
दिन हे तो रात होगी,
सुख हे तो दुःख भी होगा,
मान हुआ तो अपमान भी होगा,
गर हुआ योग तो वियोग भी होगा,
हँसे हो तो रोना भी पडेगा,
जन्म हुआ हे तो मरना भी पडेगा ,
हानी हुई हे तो लाभ भी होगा ,'
यही दो पाट हैं ज़िंदगी के,
कहे मदन गोपाल ,
इन सब से तो गुजरना ही पडेगा ,
इन सब की न कर चिंता,
ले नाम प्रभु का ,
तेरा भला होगा !!
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