Wednesday, May 14, 2008

चिन्ता P

  • चिंता
    चिंता तू ने क्यों मौत दिखाई ,
    जिंदे को तू ने आग लगाई !
    चिंता रूपी घुन लग जाने पर ,
    हो गया मनुष्य खोकला अन्दर से !
    चिता जलावे मुरदे को ,
    और चिंता जीवित चिंता मारे घुला घुला कर ,
    साँस लेने की भी न दे मोहलत !
    चिंतादे मति फिराए
    चिंता से सुबुद्धी भी कुबुद्धी बन जाए !चिंता कर देती हे भ्रमित
    आदमी को नहीं रहता अच्छे बुरे का होश !
    चिंता में आदमी कहना कुच्छ चाहता हे ,पर कहता कुच्छ और है ,
    चिंता लगने न दे ध्यान किसी काम में ,
    न भगवान के नाम में ,
    आदमी पागल सा घूमता है चिंता बस
    चिन्ता ही उस का काम हे !
    चिंता पैसा कमाने की
    चिंता बच्चे के पढाई की ,
    चिन्ता बच्चे न होने के ,
    chinataa बड़े घर के ,चिन्ता कार होने के ,
    किया चल नहीं sakataa काम बिना चिंता के
    छोड़ दे चिंता भगवान् पर ,