Sunday, March 16, 2008

मन के पट P

मन के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे ,
जीवन यों न बिता रे तोहे प्रभु मिलेंगे !
अन्दर बाहर लगा दे झाडू कर इस मन मन्दिर को साफ रे ,
दीया जला धूप बत्ती जला कर डाल इसको रोशन
और अन्धकार को दूर रे !
चंदन की खटिया बना और फूलों की सेज रे ,
कूडा करकट फ़ेंक बाहर रे !
कहे मदन गोपाल तू याद कर उस प्रभू को बन्दे ,
ताकि आकर रह सके वो यहाँ रे !
२४-३-04

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गुरुवर आना पडेगा P

गुरुवर आना पडेगा
गुरुवर तुम को आना पडेगा ,
प्यार से पुकारा तुम को आना ही पडेगा !
आकर देना गुरुवर मुझ को इतनी शक्ती ,
बिसरे न कभी तुम्हारी भक्ती !
लगा बैठा हूँ में तेरे चरणों की आस ,
आकर गुरुवर मिटा दो दिल की प्यास !
में तुम्हारी भक्ती में इतना डूब जाऊं ,
की अपना होश भी खो जाऊं !
तेरे पैरों की आहट से ,
लग जाए मुझे पता की गुरुवर आए हैं यहाँ !
तेरी सुगंध से ही महके वातावरण ,
और सूघं कर पता लग जाए आप के आने की ख़बर !
में जिधर भी देखूं तेरी सूरत ही दिखाई दे ,
हमेशा मेरे आस पास तुही दिखाई दे !
तेरी महिमा हे निराली ,
गुरुवर मुझ पर भी करदो महरबानी,
तुझ से इतना प्यार पाऊं ,
कहे मदन गोपाल कि ,दुनिया ही भूल जाऊँ !

२७/१२/05

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