Sunday, July 31, 2011

Fwd: आज का विचार - 7/30/11






आप अपने हाथो से इतनी हिंसा नहीं करते जितनी वाणी से करते हें व्यंग्यात्मक भाषा में बोलना भी अपने आप में एक बहुत बडी हिंसा का ही कार्य हें।
 
बाण का घाव भर जाता हें पर वाणी का घाव कभी नहीं भरता।
 

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



More violence can be done by the words you speak rather than by your own hands.

 

Mockery or taunting language is the biggest violence in itself. Wound from an arrow has a chance to heal

 

but the wound from the words you speak, never heals.


 

आज क़ा जीवन सूत्र ३१-७-११

आज का जीवन सूत्र ३१-७-११ 
अतिथि आता हे आप के पाप ले जाता है और पुण्य दे जाता है , ध्यान रखो ,  मेहमान क़ा आदर करो !