Thursday, January 30, 2014

Fwd: [VISHWA JAGRITI MISSION] WORDS OF WISDOM FOR TODAY FROM GURUVAR



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Sumiti Gupta Vjm
WORDS OF WISDOM FOR TODAY FROM GURUVAR
दीपक गुरु और परमात्मा दोनों के हाथों मे सुरक्षित रहता है
सब जीवों की एक आदत है कि अनुकूलता पर खुश और प्रतिकूलता पर दुखी होता हैजैसे भारत का रक्षक हिमालय है वैसे ही परिवार का रक्षक पिता हैमहान कार्य करने का मौका हर किसी को नहीं मिलता है धन्यवाद और सेवा के लिए हमेशा तैयार रहो



Fwd: [Divye Nirmal Dham Ashram( Vjm Nagpur)] कुछ रत्न हैं कुछ काँच हैं; काँच की थोड़ी देर के...



Shubham Verma 3:45pm Jan 29
कुछ रत्न हैं कुछ काँच हैं; काँच की थोड़ी देर के लिए हीरे जैसी चमक हो सकती है लेकिन ज़्यादा देर तक बरकरार नहीं रहती! और असली हीरा वो जिसके लाखों साल बीत जाने के बाद भी उसकी चमक में कभी कमी नहीं आती!
जिसके अंदर अपने विचारों की चमक है; सीधांत वाला, निखारने वाला कोई आदमी है, कैसी ही स्थिति रहे उसकी चमक बरकरार रहती है! बल्कि जब परीक्षा का समय आता है, घिसने का समय आता है उनकी चमक और बड जाती है !
OM GURUVE NAMAH!!!




Fwd: [VISHWA JAGRITI MISSION] ISHWAR ME AASTHA SBSE BDI SHAKTI HAI :



---------- Forwarded message ----------
From: Seema Sonawane <notification+zvefelze@facebookmail.com>
Date: Thu, Jan 30, 2014 at 9:53 AM
Subject: [VISHWA JAGRITI MISSION] ISHWAR ME AASTHA SBSE BDI SHAKTI HAI :
To: VISHWA JAGRITI MISSION <v1j2m3@groups.facebook.com>



Seema Sonawane
ISHWAR ME AASTHA SBSE BDI SHAKTI HAI :

Nivedan hai, mahtvapurn baat yah hai ki hm apna Bhavishya bdl nhi skte, parantu Swarnim Bhavishya ki kamana pratyek manushya ko rahati hai.Kyonki sbhi jante hai sansar kshanbhangur hai.Ekaek sbkuch nasht ho jata hai; kbhi achanak hi kismat bdl jati hai.Sbhi aashankaon ka mul hmari manasthiti hai.Ishwar me AASTHA SBSE bdi SHAKTI hai, vah sb sthitiyon ko bdl deta hai.
Thanks a lot Maharajshri with lots of pranam.


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Fwd: [Sarathi (Vjm mumbai mandal)] : बंधन का क्रम :



---------- Forwarded message ----------
From: Anil Singh <notification+zvefelze@facebookmail.com>
Date: 2014-01-30

Anil Singh
: बंधन का क्रम :
कामना पूरी नहीं हो तो क्रोध बढ़ता है। कामना पूरी हो जाए तो फिर लोभ बढ़ता है। यह बंधन धीरे-धीरे गहरा होता जाता है। कामनाएं पूरी होने लगेंगी तो लोभ इतना विस्तृत होता चला जाएगा कि फिर उसका कहीं अंत नहीं दिखाई देगा। कामना पूरी न हो तो बाधा डालने वाले के प्रति क्रोध, विरोध, प्रतिशोध जागता है। तब उसे अपने सामने से हटाने के लिए व्यक्ति उत्सुक हो जाता है। ये बंधन हैं, जो हमें बांधते हैं।


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