मेरी इच्छा
मेरी इच्छा
मेरी इच्छा क्या हे ,
तेरी इच्छा की परछाई है ,
मेरी इच्छा तो इच्छा है ,
पर तेरी इच्छा तो सच्ची इच्छा है ,
जिस इच्छा में मेरा भला हो ,
प्रभू करना वही पूरण इच्छा ,
इच्छा का क्या है एक पूरण करता ,
दूसरी खडी तैयार है ,
यह चक्कर तो चलता ही रहेगा प्रभू ,
मेरे मन में तो इच्छाओं का अम्बार है ,
तू कोनसी इच्छा पूरी करे ,
या न करे ,
ये तो तेरा अखत्यार है ,
है इच्छा मदन गोपाल की ,
प्रभू करना पूरण अपनी इच्छा ,
वही है मेरी भी इच्छा !
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