Friday, March 28, 2008

...उठा कर रखो P


सोता हे उठा कर रखो ,
रोता हे हंसा कर रखो ,
भूखा हे खिला कर रखो ,
रुन्ठा हे मना कर रखो ,
आया हे बिठा कर रखो ,
भगवान को दिल में बसा कर रखो ,
कहे मदन गोपाल ,
इश्वर के चरणों मी सिर झुका कर रखो !
३०-५-२००४

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मूर्ख क्यों रोता हे P


मूर्ख तू क्यों रोता हे ,
इश्वर जो भी करता हे अच्छा ही करता हे !
तू चाहे न चाहे होना हे जो वह होता हे ,
तू आज की देखता हे ,
भगवान् आगे की देखता हे !
तुम्हारे लिए क्या आच्छा हे ,
वह वही करता हे जो उसे अच्छा लगता हे !
तू मत सोच आगे क्या होगा
वह हे न तुझे संभालने को !
न सोच क्या ग़लत हुआ क्या सही हुआ ,
कहे मदन गोपाल जो हो गया
use सोच सोच कर क्यों दुखी होता हे !
३०-५-04

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