Saturday, September 22, 2012

घड़ी

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घड़ी      

घड़ी टिक-टिक करती है ,
यह क्या कहती है ,
समय टिक-टिक करके जाता है ,
और फिर वापिस नहीं आता है ,
मत जाने दो बेकार एक पल भी ,
बिना किए ध्यान प्रभू का ,
तेरा उद्धार इसी मैं है ,
सुन टिक-टिक और चेत ,
कहे मदन गोपाल ,
अरे उठ और कर भगवान् से नेह !

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हर बात का आनंद मनाओ

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आनंद मनाओ 

हर बात का आनंद मनाओ ,
किसी बात को राय का पहाड़ न बनाओ ,
बड़ी हो बात उसको छोटा बनाओ ,
और आनंद उठाओ ,
बात को बढ़ा कर झगड़ा न बढ़ाओ ,
बहस को कम करदो और आनंद मनाओ ,
किसी भी बात का बुरा मान कर ,
न बैठ जाओ ,
कहे मदन गोपाल बात को आगे न बढाओ !


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ओ मेरे शंकर

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ओ मेरे शंकर 
हे मेरे शंकर काट दो मेरे सब कष्ट ,
हे मेरे शंकर कर दो मेरे सब पाप नष्ट ,
मुझे भक्ति का ऐसा दान दो ,
हर वक्त जिव्हा पर तुम्हारा ही नाम हो ,
प्रभू मैं सेवक हूँ तुम्हारा ,
हम को तुम्हारा ही है सहारा ,
कहे मदन गोपाल हे  मेरे शंकर ,
विनती है आपसे काट दो मेरे सब कष्ट  !


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