Friday, February 6, 2015

मनुष्य की यही महिमा




"मनुष्य की यही महिमा हें कि वह स्वतन्त्र हें कर्म करने में और न करने में भी वह स्वतन्त्र हें और यही उसका विषाद भी हें । मनुष्य गलत करने में भी स्वतन्त्र हें । स्वतन्त्रता में गलत और सही दोनों की स्वतन्त्रता हें ।"