मानव जीवन शोभायमान
जैसे दिन को सजाता है सूर्य और रात को सजाता है चाँद, वैसे ही मानव जीवन को सौंदर्य से युक्त करने का काम सदगुरु करते हैं । किंतु यह अनुपम उपलब्धि केवल सदगुरु बनाने से प्राप्त नहीं होती, बल्कि सदगुरु के चरणों का दास बन जाने के बाद ही मानव जीवन शोभायमान होता है।