Saturday, July 25, 2015

कुए में

कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है,तो भरकर बाहर आती ,जीवन का भी यही गणित है,जो झुकता है वह प्राप्त करता है.

गुरुवर आना पडेगा

गुरुवर आना पडेगा


गुरुवर आना पडेगा गुरुवार तुम को आना पडेगा ,


प्यार से पुकारा तुम को आना ही पडेगा !


आकर देना गुरुवर मुझ को इतनी शक्ती ,


बिसरे न कभी तुम्हारी भक्ती !


लगा बैठा हूँ में तेरे चरणों की आस ,


आकर गुरुवर मिटा दो दिल की प्यास !


में तुम्हारी भक्ती में इतना डूब जाऊं ,


की अपना होश भी खो जाऊं !


तेरे पैरों की आहट से ,


लग जाए मुझे पता की गुरुवर आए हैं यहाँ !


तेरी सुगंध से ही महके वातावरण ,


और सूघं कर पता लग जाए आप के आने की ख़बर !


में जिधर भी देखूं तेरी सूरत ही दिखाई दे ,


हमेशा मेरे आस पास तुही दिखाई दे !


तेरी महिमा हे निराली ,


गुरुवर मुझ पर भी करदो महरबानी,


तुझ से इतना प्यार पाऊं ,कहे मदन गोपाल कि ,


दुनिया ही भूल जाऊँ !