Sunday, July 6, 2008

झूंट और सच P

  • सच और झूंट के बीच होता है ,
    एक पतला सा विशवास का धागा !
    गर विश्वास डगमगाया ,
    और विश्वास हटा ,
    तो प्रेम में चटख आ जायगी ,
    कहे मदन गोपाल फिर जुड़ेगी नहीं वह
    दरार न झूंट से न सच से !

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