Thursday, May 1, 2008

में बच्चा था P

बच्चों को खेलते देखता हूँ ,
तो मेरा मन भी करता है में भी खेलू !
मगर में बच्चा बन नहीं सकता ,
बड़ा हो कर बच्चों जेसे खेल खेल नहीं सकता !
तो क्या बच्चों में बन जाऊ बच्चा ,
और मजा लूँ उस जिन्दगी का ,
जो छोड़ आया हों पीछे !
जब में भी ऐसे ही खेला करता था ,
सोचे मदन गोपाल और हारने पर रोने लगता था !
१४-८ ०४

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