Saturday, April 26, 2008

मन P

मन ने सब को बाँध रखा है ,
मन को बांधना आसान नहीं ,
मन ने देवताओं को परास्त कर डाला ,
वह इन्द्रियों को क्या समझता है ,
मन की मार बड़ी जबरदस्त है ,
मन के सामने कौन ठहर सकता है ,
मन ही मन का बोधक है ,
मन ही मन का साधक है ,
मन ही मन का बाधक है ,
और मन ही मन का घातक है !
मन सरपट भागने वाला घोडा है ,
मन को वैराग्य की लगाम से
उसकी चाल काबू में करके ,
उसे वश में करना होगा ,
jo ऐसे दुर्जन मन पर सवार होगा ,
वह बलवानो से भी बलवान होगा ,
मन की एक बात बड़ी अच्छी है ,
जिस चीज का चसका लगता है ,
उसी में वह लग जाता है ,
इस लिए इसे ,
आत्मनुभाव का ,
सूख बराबर देते रहना चाहिए !

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