Sunday, March 23, 2008

जिंदगी का बोझ P

जिंदगी का बोझ हंस कर उठाना चाहिय ,
राह की मुसीबतों पे मुसकराना चाहिए !
हंस हंस कर चलता जायगा ,
टू अंधेरे में भी रास्ता बन जायगा !
रो कर चलेगा बन्दे तो ,
रास्ता कठिन हो जायगा !
कहे मदन गोपाल न पहुंच पायगा मंजिल तक ,
बीच में ही थक कर बैठ जायेगा !
२३-०४-06

Labels:

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home