लीला अपरमपार P
- हे भोले भनड़ारी तेरी लीला है अपरमपार ,
तेरी माया का न पाया किसी ने पार !
में ढूडूं तुझे जंगल में ,
में ढूडूं तुझे मन्दिर में !
तू तो बैठा है मेरे मन मन्दिर में ,
तू है मेरा सहारा ,
में इस दुनिया से हूँ हारा
कहे मदन गोपाल मुझे बुलाले
अपने पास ,मुझे नहीं किसी का सहारा !
Labels: लीला अपरमपार
1 Comments:
jay ho bholenath ji ki jay . bahut badhiya.
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