Sunday, January 2, 2011

स्वार्थ



तुझे प्रभु से प्यार हो गया हे,
मगर देख यह कैसा प्यार हे ,
क्या स्वार्थ भरा प्यार हे ,
अगर प्यार में स्वार्थ हे ,
तो यह सच्चा प्यार नहीं हे,
अपना त्याग दे स्वार्थ ,
फिर देख प्रभु
आयेंगे देने तेरा साथ,
कर प्यार प्रभु से ,
बिना स्वार्थ मन से ,
कहे मदन गोपाल ,
प्यार वही हे जिसमें स्वार्थ नहीं हे !

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