दया धर्म का मूल हे
तुलसी दया न छोडिए , जब लग घाट में प्राण !
जब में था हरी नहीं ,हरी हें में नहीं ,
प्रेम गली अति सांकरी, जा में दो न समाए!
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Posted By Madan Gopal Garga to DOHE AND CHOPAI Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ke pravachano se liye at 12/28/2010 02:53:00 PM
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