Tuesday, December 28, 2010

दया धर्म का मूल हे


दया धर्म का मूल हे ,पाप मूल अभिमान ,
तुलसी दया न छोडिए , जब लग घाट में प्राण !


जब में था हरी नहीं ,हरी हें में नहीं ,
प्रेम गली अति सांकरी, जा में दो न समाए!

--
Posted By Madan Gopal Garga to DOHE AND CHOPAI Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ke pravachano se liye at 12/28/2010 02:53:00 PM

Labels:

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home