इंसान P
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- इंसान तो कठपुतली है ,
- उसकी डोरी भगवान् के हाथ है ,
- जैसा नचाना चाहे नचाता है ,
- इंसान के बस मैं कुछ भी नंही ,
- जो करता है वह करता है ,
- फिर भी इंसान यह समझता है ,
- सब उसी ने किया है ,
- कहे मदन गोपाल ,
- सब छोड़ दे उस पर ,
- और हंसते हंसते गुजार दे ,
- जिंदगी अपनी !
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