Sunday, January 2, 2011

नटखट

] नटखट


नटखट
ओ बांके बिहारी नटखट छेला ,
तो को ढूढ रही बृनदाबन में ,
बृज बाला !
ओ बांके बिहारी ……
तूने ऐसी बजाइ बांसुरी ,
सुध बुध खो बैटी बृजबाला !
ओ बांके …………।
आजा आजा मेरे कनहिया,
तुझ को ढूढू कहां जरा बतलादे,
मत कर अठखेलियां !
ओ बाकें बिहारी……॥
मेरे नदलाला तेरी लूं में बलईयां,
कहे मदन गोपाल दे दे दर्शन ,
भर दे मेरे मन में खुशियां !

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