प्रार्थना --कल्याणप्रद
प्रार्थना --कल्याणप्रद
बृहस्पतिवार की प्रात : समय की प्रार्थना ! १
हे दीनबन्धो सुख निधे ,जय-जय चराचर नायकं !
आनंददाता जय विभो , जन मुक्ति पदवी दायकं !!
नर देह दुलभ दान की ,अब यह अनुग्रह कीजिए !
सब विघ्न पातक दूर हों ,निज प्रेम अतिशय दीजिए !!
जप यग्य ताप बनते नहीं ,कलिकाल कीर्तन हम करें !
यह जनों पर कीजिए कृपा ,दुष्कर्म को प्रति दिन हरे !!
बहूँ पाएं निर्मल बुद्धि को ,दुर्वासन सब जाते रहें !
हम प्रात सय्न्काक में ,तब इश गुण गाते रहें !!
अभिमान स्वारथ कपटता , हैं दवश त्रिशना राग जो !
यह दोष तरने के लिए ,दृढ नाव अनुराग दो !!
अब कृपा ऐसी कीजिए ,सुख संपती भरपूर हो !
चैरासी योनी कष्ट सब दुःख नरक के भी दूर्हों !!
हम लोभ माया जाल फँस ,भूले सनातन रूप को !
मोह ममता त्याग कर ,आतम लाखें सदरूप को !!
सुन दयासागर प्रार्थना ,अज्ञान सब ही नष्ट कर !
लें शरण ब्रह्मानंद ,शुभ धारणा समदृष्टि कर !!
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