Friday, June 13, 2014

Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] Fwd: [Sarathi] स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवा: सत्पुरुषा: पिता।...


 स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवा: सत्पुरुषा: पिता।...

Anil Singh
स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवा: सत्पुरुषा: पिता। ज्ञातय: स्वन्न-पानाभ्यां वाक्यदानेन पण्डिता:।।
भावार्थ : उत्तम स्वभाव से ही देवता, सज्जन और पिता संतुष्ट होते हैं। बंधु-बांधव खान-पान से और श्रेष्ठ वार्तालाप से पंडित अर्थात विद्वान प्रसन्न होते हैं।




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