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आप प्रेम के बिना जी नहीं सकते ! प्रेम को भक्ति बनाकर भगवान तक लेकर जाओ ! उसी प्रेम को श्रद्धा बनाकर गुरु तक लेकर आओ ! वही आदर बनाकर मा बाप के लिए लेकर जाइये; उसी प्रेम को स्नेह बनाकर छोटो से जोड़ दीजिए ; ममता बनाकर बच्चों से जोड़ दीजिए ; वात्सल्य बनाकर छोटे शिशुओं के साथ जोड़ दीजिए ; दया बनाकर दुखियों के साथ जोड़ दीजिए ; उसीको सेवा बनाकर भगवान की भक्ति कर लीजिए प्राणीमात्र के लिए उसका रूप बदल दीजिए ; उसी प्रेम को आप समाधि में अपने अंदर उतारकर भगवान के चरणों तक पहुँचाईए और अपनी आत्मा का समर्पण परमात्मा के प्रति कर दीजिए! यह प्रेम आपको आसमान तक ले जाएगा भगवान तक जोड़ देगा ! इस प्रेम के रूपांतरण को ज़रूर सीख लें ; प्रेम हमारा रूपांतरित होता रहे , इस तरह से रूपांतरित हो अलग अलग रिश्तों में जाकर; दोस्तों में जाकर यह मित्रता बन जाए और कहीं कोई रिश्ता नहीं होता फिर भी रिश्ता होता है क्योंकि मॅन कहता है रिश्ते का कोई नाम नहीं , हृदय कहता है नाम देने की ज़रूरत नहीं यह मेरा बहुत कोई अपना सागा है इस से बड़ा सागा और कौन हो सकता है ! यह भावनैयें हमको ज़िंदा रखती हैं !
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