"महानता जब आपके अन्दर जागती है तो आप नीचा कुछ भी कार्य नहीं करेगें। ऐसा कुछ भी नहीं करेंगें जिससे आपको खुद भी निराशा हो। इसलिए ध्यान रखें जैसे जैसे हम प्रभु के निकट होते जाते है हमारे अन्दर एक पूर्णता आती है , हमारा अधूरापन दूर होता है, हमारी सम्पूर्णता जाग्रत होने लग जाती है।"
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